Wednesday, September 29, 2010

अनुभूति---28--- विलीनता

"विलीनता"


चेहरा क्या देखते हो, दिल में उतरकर देखो , दिल में उतरकर देखो ना

चक्रों को क्या देखते हो, चैतन्य को हृदय में, देखो ना-----2

नाडिया क्या देखते हो, धारा में उतरकर, देखो ना-----2

कमियां क्या ढूंढते हो, गुणों में उतरकर, देखो ना------2

लैफ्ट राईट क्या करते हो, " श्री माँ " से जुड़कर, देखो ना-----2

अरे बंधन क्या लगाते हो, "श्री माँ' से बंधकर, देखो ना------2

"श्री माँ" से क्या मांगते हो, समर्पण करके, देखो ना------2

पाना क्यों चाहते हो, हृदय से देकर, देखो ना--------

प्रतिष्ठा क्यों चाहते हो, चैतन्य में घुलकर, देखो ना-----

समझाना क्या चाहते हो, स्वम ही समझ कर, देखो ना-----

दुखों से क्युं भागते हो, हृदय से अपनाकर, देखो ना-----

स्थूल में क्यों जीते हो, सूक्ष्म में उतरकर, देखो ना------

चेहरा क्या देखते हो, दिल में उतरकर देखो ना, दिल में उतरकर देखो।


--------नारायण

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