Tuesday, March 22, 2016

"Impulses"-----277-- "आरजू-ए-जन्नत"-अनुभूति-35


 "आरजू--जन्नत"  

         "उनकी बाजुओं में मौजों की रवानी है,

उनकी पनाहों में ये रूह दीवानी है,


उनके पहलु में मिटने को जी चाहता है,


उनकी पलकों में रहने को दिल मचलता है,

उनकी निगाहों में दिल डूबने का करता है,

उनकी मुहबत की इन्तहा कहीं नजर नहीं आती,

उनकी ख़ामोशी मेरे, सारे जहां को है गुदगुदाती,

उनकी तबियत का ये नाचीज कायल हो गया है,

अब तो ये 'काफ़िर' हर ख़ुशी और गम से ही जुदा हो गया है."


--------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


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