Tuesday, December 21, 2021

"Impulses"--555-- "आत्म-मुग्धता v/s आत्म-प्रेम"

 "आत्म-मुग्धता v/s आत्म-प्रेम"


आत्म-मुग्धता का आधार 'हीन भावना' है जबकि आत्म-प्रेम का आधार 'आत्म-सम्मान' है।

आत्म-मुग्ध मानव की प्रवृति प्रदर्शन कारी होती है, वह जो भी करता है, वह लोगों को दिखाने के लिए ही करता है।साथ ही वह अपने कार्यो का श्रेय स्वयम लेते हुए स्वयं को श्रेष्ठ महान सिद्ध करता रहता है।

उसका उद्देश्य लोगों की प्रशंसा पाना ही होता है,ताकि लोगों की तारीफ से उसकी हीन भावना उसके मन में ज्यादा तक्लीफ दे।

जबकि आत्म-प्रेमी स्वभाव से शांत,शालीन सौम्य होता है, वह जो भी करता है अपनी जीवात्मा की प्रसन्नता उसके सानिग्ध्य का आनद उठाने के लिए ही करता है।

उसे कभी भी अपने द्वारा किये गए कार्यो के प्रदर्शन करने की इच्छा नहीं होती और ही उसे किसी की तारीफ की ही हसरत होती है।

हाँ, वह अन्य लोगों को अच्छे कार्य करने की प्रेरणा देने के लिए अपनी बातें,अनुभव कार्यो को सबके साथ अवश्य बांटता रहता है।

किन्तु वह अपने किसी भी कार्य का श्रेय कभी भी स्वयम नहीं लेता क्योंकि वह जानता है कि वह कुछ भी नहीं है। जो भी उससे करवाया जा रहा है वह "प्रभु" की इच्छा प्रेरणा के द्वारा ही घटित हो रहा है।"

-------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


05-11-2020

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