Friday, May 13, 2022

"Impulses"--603--"सदमानव का अहित असंभव"

 "सदमानव का अहित असंभव"

 

"यदि किसी व्यक्ति के साथ कोई व्यक्ति छल/धोखे के द्वारा कुछ सम्पत्ति/धन हड़प लेता है तो यह माना जाता है कि छले गए/धोखा खाये व्यक्ति ने अपने पूर्व जन्मों में जरूर ऐसा कुछ किया होगा जिसका परिणाम यह मिला है।

वास्तव में यह अवधारणा कुछ ही हद तक सही है, क्योंकि यह सिद्धांत केवल बेईमानी करने वाले लोगों पर ही लागू होता है ईमानदार शख्सियतों पर यह धारणा सही नहीं उतरती।

*यदि किसी ईमानदार सत्य आचरण करने वाले इंसान को यदि कोई किसी भी प्रकार की हानि पहुंचाता है तो हानि पहुंचाने वाला ही अपने स्वयं के पावों में ही कुल्हाड़ी मारता है।*

*क्योंकि अच्छे मानव को यदि किसी की बेईमानी के कारण किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो उसकी भरपाई 'स्वयं' "ईश्वर" किसी किसी रूप में अवश्य कर देते हैं।*

किन्तु जिसने भी किसी भी दुर्भावना से वशीभूत होकर किसी भी अच्छे सच्चे मनुष्य को हानि पहुंचाई है तो उसे 'प्रकृति' के द्वारा भरपूर सजा मिलती है।"

-------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


16-01-2021

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