Tuesday, November 1, 2016

"Impulses"--315--"नारियल का चटकना"

"नारियल का चटकना" 


We all Enlightened Souls are in the "Hit List" of the 'Powers of Darkness'......

वास्तव में लगभग सभी सहज साधकों के घर में नवरात्रो, दीवाली, होली, अमावस्या, सूर्य/चंद्र ग्रहण, श्राद्ध व् कुछ खुशियों के मौको पर 'श्री फल'(नारियल)के फटने/ चटकने की घटनाएं होती रहती हैं क्योंकि "परमेश्वरी शक्तियां" नकारात्मक शक्तियों से संघर्ष कर रही होती हैं।

उपरोक्त विशेष दिवसों में "वाम मार्गी" (तामसिक) यानि अघोरी व् दुष्ट तांत्रिक, तंत्र शक्तियों का स्वार्थ वश दुरूपयोग करने के लिए "परमात्मा" व् 'प्रकृति' विरोधी अनुष्ठान व् साधनाएं करते है।  

जिसके कारण उपरोक्त दिवसों में नकारात्मक शक्तियां वातावरण में विचर रहीं होती हैं और सत्य साधकों के साथ रहने वाली 'दिव्य शक्तियां' उनसे युद्ध करती हैं जिसके कारण 'नारियल' जल्दी जल्दी फटते है। ये कोई चिंता की बात नहीं है बल्कि ख़ुशी कि बात है कि " माँ" हम सभी के यंत्रों से अपना कार्य ले रही हैं।

इन फटे हुए नारियलों को कूड़े में या नाले में फेंकते जाएँ और नए नारियल लगातार "श्री माँ" के अल्टार(Altar) के पास स्वस्तिक व् क्रास बना कर रखते जाएँ क्योंकि ये 'चैतन्यतित नारियल' इस अदृश्य युद्ध में 'परम की शक्तियों' के लिए हथियार का कार्य करते हैं।

और इसके अतिरिक्त इन विशिष्ट दिवसों में सदा सहस्त्रार व् मध्य हृदय में बने रहें व् अपने घर' कारोबार व् नौकरी के स्थानों पर ध्यानस्थ अवस्था में चित्त की सहायता से 'चैतन्य' भी प्रवाहित करते रहें ताकि किसी भी प्रकार की 'अशुद्ध शक्ति' प्रभावी हो पाये।"
---------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"


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