Friday, May 3, 2019

"Impulses"--488--"स्वरूप-सन्देह"


"स्वरूप-सन्देह"


"सहजियों के बीच "श्री माता जी" के विभिन्न स्वरूपों को लेकर अक्सर चर्चाएं होती रहती हैं। यहां तक कि हमने कुछ सहजियों के मुख से यहां तक सुना है कि कुछ सहजी "श्री माता जी" के एक ही स्वरूप के साथ ध्यान में बैठते हैं।

और यदि कहीं किसी सहजी के घर कुछ अन्य फोटो 'अल्टार' में रखा देखते हैं तो तुरंत उनसे बदलने के लिए कहते है। वे अक्सर बाते करते रहते हैं कि इस स्वरूप के साथ ध्यान में बैठना चाहिये,

इस स्वरूप से स्वास्थ्य ठीक होता है,

यह स्वरूप नकारात्मकता को नष्ट करने वाला है,

यह स्वरूप अबोधिता को बढ़ाने वाला है,

यह स्वरूप गुरु तत्व को जागृत करने के लिए है,

इस स्वरूप से 'शिवतत्त्व' जागृत होता है आदि, आदि।

वास्तव में "श्री माता जी" ने अपने कई चमत्कारिक फोटो में प्रगट होने वाले स्वरूपों की विशेषताओं के बारे में स्वयं ही बताया है। किंतु इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि हम इतने कडीशंड हो जाएं।

कि यदि हमें अपनी पसंद का चित्र मिले तो हम विचलित हो जाएं।और हमारा ध्यान भी अनेकों प्रकार की आशंकाओं के विचारों के चलते ठीक प्रकार से हो पाए।

मेरी चेतनानुसार, "परम पूज्य श्री माता जी निर्मला देवी" के विभिन्न स्वरूप "माँ आदि शक्ति" के विभिन्न वस्त्रों जैसे हैं।

"श्री माँ" का स्वरूप कोई भी हो, "उनकी" समस्त शक्तियां तो सदा उनके हर स्वरूप के साथ विद्यमान होती ही हैं।

इन समस्त "माँ" के स्वरूपों में ऐसा ही अंतर है जैसे विभिन्न प्रकार के कार्यो, उपक्रमो, ऋतुओं अवसरों की आवश्यकता के अनुसार हम वस्रों का चुनाव करते हैं।ताकि हमें कोई असुविधा तकलीफ हो।

ठीक इसी प्रकार से "श्री माँ" काल स्थिति, परिस्थिति की आवश्यकतानुसार ही अपने 'स्वरूप' को प्रगट करती हैं। हम सभी को तो बस इतना ही समझना आत्मसात करना चाहिए कि "वो" हमारी वास्तविक "माता" हैं।

और सन्तानो को तो अपनी माता हर रूप स्वरूप में अच्छी ही लगती है और हर हाल परिस्थिति में "वह" सदा हमें वात्सल्य ही प्रदान करती हैं।
अतः हमें व्यर्थ की चिंताओं आशंकाओं में उलझने अटकने की कोई जरूरत ही नहीं हैं।

"माँ निर्मला" स्वम् हम सभी को अपने वास्तविक 'निराकार स्वरूप' "माँ आदि शक्ति" से एकाकार कराने के लिए ही प्रयत्न शील हैं।
अतः "श्री माँ" के हर प्रकार के स्वरूप के साथ ध्यान का आनंद लिया जा सकता है।

यदि संभव हो तो सहजियों को समय समय पर "श्री माँ" के विभिन्न स्वरूपों को समय समय पर फेसबुक, व्हाट्सएप विभिन प्रकार की मीडिया के जरिये शेयर करते रहना चाहिए।

इससे हम सभी की चेतना आनंदित होती रहती है क्योंकि जैसे ही हमारा चित्त चेतना "श्री माँ" के किसी भी स्वरूप से जुड़ती है। हमारी कुंडलिनी माता अत्यंत प्रसन्न हो जाती हैं और भाग कर सहस्त्रार पर जाती हैं।

जिसके परिणाम स्वरूप हमारे यंत्र में 'दिव्य ऊर्जा' का प्रवाह दौड़ने लगता है और हमारे अन्तःकरण में नवचेतना हिलोरे लेने लगती है।

"श्री माँ" के विभिन्न स्वरूप "श्री माँ" के विभिन्न नामों के उच्चारण की तरह हनारे सूक्ष्म यंत्र में कार्य करते हुए हमारी विभिन्न प्रकार की आंतरिक समस्याओं का निराकरण भी करते हैं।

कुछ सहजी किन्ही मानसिक सोचों के चलते"श्री माता जी" के फोटो को मीडिया में पोस्ट करने से परहेज करते हैं अन्य सहजियों से भी पोस्ट करने के लिए कहते हैं।

उनके अनुसार व्हाट्सएप पर पोस्ट करने के कारण कभी कभी उन्हें डिलीट करना ही पड़ता है जिससे "श्री माँ" के प्रति हमारे सम्मान में कमी आती है।

वास्तव में यह तथ्य सत्य नहीं है क्योंकि जैसे ही हम "श्री माँ" का कोई भी स्वरूप देखते हैं। तो वह स्वरूप हमारे हॄदय में सदा के लिए पेस्ट हो जाता है और उस स्वरूप की ऊर्जा हनारे भीतर सक्रिय हो जाती है।

और फिर उस स्वरूप को डिलीट करने में कोई हानि नहीं होती क्योंकि उक्त स्वरूप तो हमारे सूक्ष्म यंत्र के विशेष तंत्र को पुष्ट करने के लिए प्रोटीन विटामिन का ही कार्य करता है।

मजे की बात यह है कि हमारे यंत्र को समय समय पर जिस स्वरूप की भी आवश्यकता होती है। वह स्वरूप स्वयं "परमेश्वरी" किसी किसी माध्यम से हमें उपलब्ध करा ही देती हैं।

क्योंकि हम सबकी चेतना का स्तर समान नहीं है, हम सभी को अपनी अपनी चेतनानुसार ही स्वरूप ज्यादा आनंदित करते हैं।

"श्री माँ" के जिस स्वरूप से हमारा हृदय गद गद होता हो उसी स्वरूप को अपने हृदय में बसाना चाहिए उसी स्वरूप के समक्ष ध्यान का आनंद उठाना चाहिए।

क्योंकि वही स्वरूप हमारी जीवात्मा की वास्तविक आवश्यकता है जिससे हमारी जीवात्मा प्रसन्न होती है।

इसीलिए इस प्रकार की बातों पर किसी भी प्रकार की आशंका, भय, सन्देह, विचार जनित आंतरिक अथवा बाह्य विवाद संघर्ष निर्मूलय है।"

------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"


2 comments:

  1. कितना प्यारा सहज विश्लेषण

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    1. Jai Shree Mata Ji,Thank You for liking, kindly mention your name, it is showing unknown.

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