Thursday, July 18, 2019

"Impulses'--497--"विभिन्नता में एकता"


"विभिन्नता में एकता"

"अक्सर हममें से बहुत से लोग सदा अपने विचारों से मेल खाने वाले लोगों को ही तलाशते रहते है। और ऐसे लोगों के मिल जाने पर हम बड़े ही प्रसन्न होते हैं।

और मौका मिलने पर हर स्थान पर सदा साथ रहने का ही प्रयास करते हैं। वैसे तो ऐसा करने सोचने पर बहुत अच्छा लगता है किंतु सदा ऐसा करने से एक बहुत बड़ी हानि भी होती है। और वो हैं केवल कुछ ही तथ्यों तक सीमित रह जाना।

यदि हम विभिन्न सोचो विचारों वाले इंसानों के साथ भी समय पर साथ रहते रहें तो हमारे स्वयम के ज्ञान में इजाफा होता रहेगा।

क्योंकि अलग अलग विचारों सोचों वाले हम सभी के संस्कार अलग अलग होते है जिन्हें जानने समझने का हमें भी अवसर मिल जाता है।

जरा सोचिए यदि किसी एक उपवन में केवल एक ही प्रकार के पौधे अथवा पुष्प हों तो वह कभी भी उपवन नहीं कहला सकता। या तो वह नर्सरी कहलायेगा अथवा वह खेत ही माना जायेगा।

अतः हम सभी को प्रयास करना चाहिए कि हम समय समय पर विभिन्न सोचो वाले लोगों के साथ रहें उनसे सामंजस्य बनाएं रखें। हर क्षेत्र में उन्नत होने के लिए आवश्यक है कि हम,

'वैचारिक भिन्नता बनाये रखें,

भीतर में विवेक जगाए रखे ,

और आपस में हृदयों को मिलाए रखें।'

वास्तव में तराजू के एक पलड़े पर रखे गए समान का वजन सही 'बांट' ही बता सकते हैं।'

'सही तुले हुए समान से 'बांटों' की सच्चाई पता चल जाती है और सही 'बांट' से समान की सही तोल।'

'वास्तव में तराजू की डंडी हमारा विवेक है,

वैचारिक भिन्नता तराजू के दो पलड़े हैं,

एवम हमारा हृदय तराजू का कांटा है,

जो सदा तराजू के तोल की सही स्थिति को बताता है। किन्तु यदि कोई लोभ वश बांट के वजन को गड़बड़ करके समान कम तोल भी दे।

तब भी कोई चिंता की बात नहीं है, क्योंकि 'माता प्रकृति' ऐसे व्यक्तियों को अपने तराजू में तोल कर उसे उनके कार्यों के अनुसार फल अवश्य देती हैं।"

---------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"



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