Friday, July 16, 2021

'Impulses'--548-"झूठी कहानी"

"झूठी कहानी"


एक बार हमने "यमराज जी" के खाता पाल 'चित्रगुप्त जी' से निवेदन किया कि क्या आप हमें यह दिखा सकते हैं कि मानव के कर्मों का फैंसला किस आधार पर किया जाता है।

'चित्रगुप्त जी' ने कहा कि बिल्कुल, आप लोग तो "श्री माता जी" के 'बच्चे' हैं, तो हम आपकी यह इच्छा अवश्य पूरी करेंगे।

आप एक काम करना कल "यमराज जी" की कोर्ट में दो मनुष्यों की पेशी है, कल प्रातः आप मेरे पास जाना मैं तुमको न्याय की प्रक्रिया दिखा दूंगा।अतः सुनिश्चित समय पर हम 'चित्रगुप्त जी' के साथ "यमराज जी" की कोर्ट में पहुंच गए।

नियत समय पर "यमराज जी" पधारे और उन्होंने कार्यवाही प्रारम्भ करने का आदेश दिया। उनके द्वारपाल ने आवाज लगाई तो दो मानव हाजिर हुए जो भारत के रहने वाले थे।

इनमें से एक कीमती कपड़े पहने था और उसके माथे पर तिलक लगा हुआ था, उसकी चाल ढाल से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे वो कोई धनी आदमी हो।

और जो दूसरा मनुष्य था उसके कपड़े अत्यंत अस्तव्यस्त मैले कुचैले थे,उसके चेहरे की लाचारगी से अनुभव हो रहा था कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।

तब "यमराज जी" ने 'चित्रगुप्त जी' से उन दोनों इंसानों के कर्मो का लेखा जोखा पेश करने को कहा। सबसे पहले 'चित्रगुप्त जी' ने गरीब दिखने वाले मनुष्य का बही खाता खोला, और बताया।

कि इस मानव का जीवन अत्यंत संघर्ष पूर्ण रहा है और पूरी जिंदगी इसने कभी भी "प्रभु" की उपासना नहीं की और ही यह कभी भी किसी धार्मिक स्थल पर गया है।और ही उसने कभी किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना ही की है।

बल्कि इसके उलट अपने परिवार के सदस्यों का पेट भरने के लिए इसने कई बार चोरियां की हैं।

तब "यमराज जी" ने 'चित्रगुप्त जी' से कहा कि इस व्यक्ति को 10 दिन के लिए नरक में भेजा जाए और इसकी पीठ पर प्रतिदिन 10 कोड़े लगवाये जाएं।

और इसके बाद इसे किसी ज्ञानी ऋषि के आश्रम में शिक्षित होने के 1 वर्ष तक रखा जाय और फिर चेतावनी देकर धरती पर पुनः जन्म दे दिया जाय।

इसके बाद 'चित्रगुप्त जी' ने दूसरे व्यक्ति का खाता खोला और बताना प्रारम्भ किया कि यह व्यक्ति पूरे जीवन धरती के समस्त धार्मिक स्थानों पर जाता रहा है।

इसके अतिरिक्त वह साल में दो बार देवी का अनुष्ठान करता है और हजारों गरीबों को भोजन खिलाता है कम्बल बांटता है।

इस मानव ने पूरी जिंदगी कभी कोई चोरी बेईमानी नहीं की है बल्कि पिछले 10 सालों से इस मानव ने किसी सहजी से आत्म साक्षात्कार प्राप्त किया है और यह नित्य सहज योग का अभ्यास भी कर रहा है।

इसकी एक विशेषता है कि इस मनुष्य की रग रग में 'मानव-भक्ति' का गुण कूट कूट कर भरा है।यह वास्तव में एक 'राजनेता' का कट्टर अनुयायी है और उनकी भक्ति में सदा लीन रहता है।

और उनके खिलाफ बोलने वालों से अक्सर झगड़ता रहता है और जी जान से सारे में उनके गुणों,व्यक्तित्व कार्यों का गुणगान करता रहता है।

तब "यमराज जी" ने 'चित्रगुप्त जी' से कहा कि इसको ले जा कर 10 वर्ष के लिए नरक में भिजवा दें प्रत्येक दिन 100 कोड़े लगवा कर इसके लिए 10 घंटे तक पत्थर तुड़वाने के कठोर श्रम की सजा मुकर्रर करवाइए।

इसके बाद कभी भी किसी भी मनुष्य की'अंध भक्ति' करने की शर्त पर ही इसको धरती पर पुनः जन्म देने की व्यवस्था करवाइये।

यदि यह अंधभक्ति छोड़ने को तैयार हो तो इसका कार्यकाल 100 वर्ष तक के लिए नरक में बढ़वा दीजिए।

इन दोनों मानवों के फैंसलों को सुनकर हमने विनम्रता के साथ "यमराज जी" से कौतूहल वश पूछा।

"देव", आपने चोरी करने वाले व्यक्ति को अत्यंत कम सजा सुनाई और जिस इंसान ने आजीवन पूजा-अर्चना की यहां तक कि सहज योग का भी अनुसरण किया उसको आपने इतनी सख्त सजा क्यों दी।

तब 'यमराज जी' ने गम्भीर होकर कहा कि जो व्यक्ति गरीब था, वह सही शिक्षा उचित समझ के अभाव में अपना अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजबूरी में चोरी करता रहा।

किन्तु यह जो दूसरा मानव है इसने तो "श्री माता जी" के द्वारा भारत देश की आजादी के लिए किए गए समस्त संघर्षों त्यागों को ही लजा कर रख दिया है।

जिस देश को स्वतंत्र कराने के लिए लाखों भारत वासियों ने अपनी कुर्बानी दी, जिस धरती पर "परमात्मा" के अनेको अवतरण हुए, जाने कितने सद्गुरुओं, संतों, ऋषियों, तपस्वियों, साधकों ने अपनी तपस्विता से इस देश का गौरव बढ़ाया।

उसी देश को एक अत्यंत झूठा,बड़बोला,धूर्त लोभी,पाखण्डी, निर्दयी तानाशाह निरंतर हर स्तर पर बहुत तेजी से बर्बाद किये जा रहा है।

जिसके षड्यंत्रों के कारण करोड़ों मजदूर भूखे मरने को मजबूर हो गए है, जिसकी कुटिलता से परिपूर्ण नीतियों के कारण इस देश के अन्नदाता निरन्तर आत्म हत्या करने को मजबूर हो गए हैं।

यहां तक कि जिसकी सत्ता के लोग 6 माह से लेकर 60 तक वर्ष की महिलाओं के साथ बलात्कार करने/बलात्कार के बाद अत्यंत वीभत्स तरीके निर्देयता के साथ हत्या करने वालों के पक्ष में खड़े रहते हों।

इतना ही नहीं जिसकी पार्टी के सत्तासीन सांसद, विधायक, पार्षद स्वयं बलात्कार करते हों।

ऐसे घिनौने कुशासक की यह अंध भक्ति करता है तो ऐसे विवेकहीन,जड़, कुबुद्धि से ग्रसित मानव का तो आजीवन नरक में रहने का अपराध बनता है।

इसकी इन हरकतों के कारण इसके द्वारा किये गए इस जन्म पूर्व जन्मों के सभी अच्छे कार्यों के प्रतिफल जलकर राख हो चुके हैं।

वो तो इस मानव की खुशकिस्मती है कि यह "श्री माता जी" बताए मार्ग का ऊपरी तौर से अनुसरण कर रहा है।

वैसे भी यह अपने सांसारिक लाभों अपनी समस्त इच्छाओं को पूर्ण करने के स्वार्थ से ही यह सहज में आया है।

अन्यथा इसको तो नरक में और भी बहुत भयानक यातनाएं दी जानी थीं, वो हमने इसको मिले "श्री माता जी" के आशीर्वाद का सम्मान रख लिया।

जरा याद कीजिये कि "श्री माता जी" ने क्या कहा था,

*यदि आप लोग 'निर्विकल्प' में स्थित नहीं हुए तो मैं भी आप लोगों को नरक में जाने से नहीं बचा पाऊँगी।*

भारत की धरा पर जितने भी आतातायी अंधभक्त हैं, ये लोग नहीं जानते इनका क्या हश्र होने वाला है।

अभी तो ये लोग सत्ता अंधभक्ति के नशे में चूर हैं, इन सभी को इनकी मृत्यु के बाद सदा के लिए नरक में अति भयानक यातनाओं के साथ रखा जाएगा।

और इनमें शामिल अनेकों लोगों को तो सदा के लिए मानव के रूप में जन्म लेने के अधिकार से ही वंचित तक कर दिया जाएगा।

इस भारत देश की भूमि तो इस विश्व में सबसे ज्यादा पवित्र है, तुमको पता है कि, इस देश की धरती पर जन्म लेने के लिए अनेकों देवी-देवताओं ने "श्री माता जी" के दरबार में अर्जी लगा रखी है।

"यमराज जी" के उत्तर को सुनकर हमने "उन्हें" हमारा ज्ञानवर्धन करने के लिए हृदय से धन्यवाद दिया।

साथ ही 'चित्रगुप्त जी' के लिए इस अनुपम अवसर प्रदान करने के लिए विनम्र आभार प्रगट करने के उपरांत हम "श्री चरणों" में पुनः स्थित हो गए।"

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"Jai Shree Mata Ji"

07-10-2020

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