Tuesday, July 5, 2022

"Impulses"--616--"भय का प्रभाव"

 "भय का प्रभाव" 

"भय से ग्रसित मानव भेड़ सम व्यवहार करने लगता है,

जैसे एक भेड़ किसी एक दिशा में चलना शुरू करदे तो अन्य भेड़ भी उसके पीछे पीछे चलना प्रारम्भ कर देती है।

और फिर चाहे आगे चलने वाली भेड़ खाई में ही क्यों गिरने जा रही हो।

यानि मन पर जब भय का कब्जा हो जाता है,तो मानव की विवेकशीलता समाप्त हो जाती है।

इस विकट स्थिति से बचने के लिए केवल एक ही कार्य करना है।

और वह है, जब तक मन का भय समाप्त हो जाय तब तक मन को अपने हृदय में ही रखा जाय।

क्योंकि हमारे हृदय में हमारे अपने "इष्ट" निवास करते हैं जो समस्त प्रकार के भय से हमें मुक्त कर देते हैं।

जो भी साधक/साधिका अपने सहस्त्रार मध्य हृदय से निरंतर जुड़े रहेंगे, वे हर प्रकार के भ्रम भय से मुक्त रहेंगे।

वे निर्भयता के साथ "श्री माँ" के प्रेम का आनंद लेते हुए पूर्ण निर्लिप्त अवस्था बनाये रखते हुए मानवता के प्रति अपने समस्त कर्तव्यों का निरंतर निर्वहन करते रहेंगे।"


-----------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


26-05-2021

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