Saturday, January 1, 2011

अनुभूति ---29 "हैप्पी न्यू एरा"

"हैप्पी न्यू एरा"

लम्हा-लम्हा गुजरता है, ही वक्त गुजर पाता है,
जब "मल्लिका--कायनात"(आदि शक्ति) के अहसास को'
जिस्म का कतरा-कतरा बूझता है,

तब सांसें भी रुक-रुक कर आतीं हैं,
"आलम--लाहूत"(सहस्त्रार) से दिल तक ,
इक खिंचावट सी आती है,

ख्यालों की झड़ी कुछ थम सी जाती है,
आती-जाती हर साँस, हर घडी, हर पल को,
मुबारक कहती जाती है,

चित्त के इशारे से ही, सहस्त्रार की धारा,
सबके दिलों में समाती है,
सदियों से इन्तजार करती,
हम सबकी "माँ कुण्डलिनी को उठाती है,

जो "माँ आदि" के निर्मल अवतरण को,
सार्थक बनाती है,

समस्त देवों, गणों, शक्तियों,सदगुरुओं,संतों,
की टोली जयकारे लगाती है,

इस ब्रह्माण्ड के कोने-कोने से सदा,
हैप्पी न्यू एरा की आवाज आती है

"जय श्री माता जी"

अपने समस्त सहज साथियों समस्त निर्मल चेतनाओं को नव वर्ष २०११ के शुभारम्भ पर हार्दिक बधाई प्रेषित करता हूँ परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ कि "परम पिता परमेश्वर आप सभी को अपना प्रेम आशीर्वाद आजीवन प्रदान करते रहें जाग्रति के इस निर्मल कार्य में आप सबको भागीदारी प्रदान करतें रहें -------नारायण


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