Monday, May 30, 2016

"Impulses"---287---"दिल-ऐ-आफताब"(अनुभूति--37)

"दिल--आफताब"

"सुबह से साँझ होती है, साँझ से सुबह होती है,

मेरे इस दिल में "श्री माँ", आप हर वक्त रूबरू होती हैं,

इस जिंदगी के हर लम्हे से गुजरते वक्त में, 

केवल और केवल आपकी की ही इनायत होती है,

मन के आसमान में ख्यालो की बदली के बीच से, 

आफताब सा झलकता आपका एहसास है,

जिसकी मोहब्बत की गर्माहट से, 

खिल खिलाता सा ये मेरा दिल--नादान है,

जिसकी धड़कने गूंजती रहती है उस वक्त भी, 

जब इसके धड़कने का एहसास गुम हो जाता है कहीं,


और हर धड़कन के साथ मेरे जेहन में, 

 आप ही का मुस्कुराता सा अक्स नजर आता है मुझे,"

------------------------Narayan

"Jai Shree Mata ji"

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