Wednesday, November 15, 2017

"Impulses"--414--"सामर्थ्य"

"सामर्थ्य"

"हममे से अधिकतर सहजी अपना सारा कचरा विकार रोज "श्री माँ" को हर 'ध्यान' के समय देते जाते हैं। हमेशा 'श्री माँ' से कहते रहते है"श्री माता जी 'कृपया मेरे समस्त बाधित चक्रों को साफ़ कर दीजिये'। 'मेरी समस्त निगेटिविटी को हर लीजिये।
'मेरी समस्त समस्याओं को ले लीजिये।'

बड़े दुःख की बात है कि हम हर समय उनसे कुछ कुछ याचना ही करते रहते है।क्या कभी हम सोच पाएंगे कि हमारा भी 'श्री माता जी' को कभी कुछ अच्छा देने का कर्त्तव्य है। क्या कभी भी हम कह पाएंगे कि,

"श्री माता जी" 'आपके इस बच्चे ने आपके बताये रास्ते पर चलकर, आप ही की देख-रेख में, आप ही की शक्तियों के माध्यम से, आप ही की प्रेरणा वश एक सुंदर सा सुगन्धित फूल(सहजी) विकसित किया है,
'माँ' कृपया हृदय से स्वीकार कीजिये'"

क्या हम कभी भी ये सच्चे हृदय से कहने का साहस रखतें हैं कि, "श्री माता जी" 'आप हमारी समस्त बाधाओं को हर लेती है हमारे कारण आपको काफी कष्ट उठाना पड़ता है। 'कृपया हमें भी हमारी क्षमता के मुताबिक कुछ 'निगेटिविटी' वहन करने की सामर्थ्य प्रदान कीजिये।'

ये हमारा सौभाग्य होगा, कि "वो" हमें इस कार्य के लिए भी चुनें।तभी लगेगा कि हम "उनके" सच्चे बच्चे है।" यदि हम सभी सहजी "श्री माँ" के समस्त बच्चों की तकलीफों को अपने विकसित यंत्र के जरिये बांटने की शुद्ध इच्छा व् हौंसला रखें तब ही हमारी "माँ" हमसे बहुत प्रसन्न होंगी और "माँ" के समस्त बच्चे भी प्रसन्न व् आनंदित रह पाएंगे। 

साथ ही 'अपने' ऐसे 'विशाल हृदए' के 'सक्षम बच्चों' के द्वारा स्वेच्छा से सभी के कष्ट ग्रहण करने के भावों को देख "वो" और भी बहुत सी 'शक्तियां' भी हमें प्रदान करेंगी।


जिससे 'ऐसे बच्चे' अपने यंत्र को उच्च कोटि के यंत्र में परिवर्तित कर पाएंगे और "श्री माँ" की अनेको शक्तियों को अपने यंत्र व् शुद्ध इच्छा के माध्यम से सर्वस्त्र कल्याण के लिए प्रवाहित कर पाएंगे।"
-----------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"

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