Friday, July 13, 2018

"Impulses"--454--"ऊर्जा संकेत"-'एक मौन वार्तालाप' (भाग-9)


"ऊर्जा संकेत"-'एक मौन वार्तालाप'
(भाग-9)



चतुर्थ अवस्था के नकारात्मक ऊर्जा संकेत:-

जब हमारे कपाल को बीच की मांग निकालने के उपक्रम में दो हिस्सों में विभक्त कर दिया जाता है तो बाएं दाएं कान के ऊपर के हिस्से पर सीधी लकीर रूपी पाइप के रूप में इड़ा पिंगला की नाड़ी की देवियों की निराकार शक्तियों को अनुभव करने का स्थान बन जाता है। एवम सिर के बीचोंबीच सीधी निकली हुई मांग सुषुम्म्ना नाड़ी की निराकार शक्ति की अनुभूति का स्थान बन जाती है।

a) बायीं/दायीं अथवा दोनो नाड़ी रूपी लकीरों में गर्माहट का होना:-

जब इन दोनों बायें दाएं पाइप रूपी स्थानों पर अथवा किसी एक स्थान पर सीधी लकीर के रूप में किसी व्यक्ति/स्थान, विचार, स्थिति अथवा स्वम् ऊपर चित्त रखने की प्रतिक्रिया स्वरूप गर्माहट महसूस हो तो हमें समझ जाना चाहिए कि उक्त स्थानों अथवा स्थान की 'निराकार' महादेवियाँ कार्यशील नहीं हैं।

b) बायीं/दायीं अथवा दोनो नाड़ी रूपी लकीरों में दर्द का होना:-

जब इन दोनों बायें दाएं स्थानों पर अथवा किसी एक स्थान पर सीधी लकीर के रूप में किसी व्यक्ति/स्थान, विचार, स्थिति अथवा स्वम् ऊपर चित्त रखने की प्रतिक्रिया स्वरूप दर्द की अनुभूति हो।

तो हमें समझ जाना चाहिए कि उक्त स्थानों अथवा स्थान की 'निराकार' महादेवियाँ उक्त साधक/साधिका/स्थान/विचार/स्थिति/अथवा स्वम् हमसे दुखी हैं।

c) बायीं/दायीं अथवा दोनो नाड़ी रूपी लकीरों में जलन होना:-

और जब हमारे चित्त की प्रतिक्रिया स्वरूप इन दोनों स्थानों पर अथवा किसी एक स्थान पर सीधी लकीर में तीव्र जलन होती महसूस दे

तो हमें समझना होगा कि उक्त स्थान की निराकार 'महादेवी' किसी साधक/साधिका के द्वारा घोर अज्ञानता के वशीभूत किये गए "परमात्मा" प्रकृति विरोधी कार्यो के चलते रुष्ट हो गईं हैं।

और अपनी नाराजगी रोष को प्रगट करने के लिए ये दोनों नाड़ियों की महादेवियाँ कुपित होकर जलन की अनुभूति देकर हमें चेतावनी दे रहीं होती हैं।

d) बायीं/दायीं अथवा दोनो नाड़ी रूपी लकीरों में तीव्र चुभन का होना:-

यदि हम इन चेतावनियों के वाबजूद भी उन मानवता विरोधी कार्यों को लगातार करते ही जाते हैं।तो एक प्रकार से हम 'योगभ्रष्ट' स्थिति को ही प्राप्त होते हैं।

जिसके कारण हमारे रुद्र भी हमसे अत्यंत नाराज होकर हमारे/उस व्यक्ति के बाह्य अस्तित्व को समाप्त करने के लिए ब्रेन ट्यूमर/कैंसर जैसे घातक रोग उत्पन्न कर देते हैं।

i) कपाल पर स्थित किसी भी चक्र की पीठ में गर्माहट का होना:-

कभी कभी जब हम अपने सहस्त्रार मध्य हृदय से जुड़े हुए 'निर्विचार ध्यान' का आनद उठा रहे होते हैं तो अचानक चित्त किसी व्यकि/स्थान/विचार/स्थिति या स्वम् हमारे अपने ऊपर पर चला जाता है  

तो उस क्षण कभी कभी गर्माहट महसूस देती है जो इस बात का प्रतीक है कि उस स्थान के चक्र की पीठ के देवी-देवता की निराकार शक्ति अनुपस्थित हैं।

ii) कपाल पर स्थित किसी भी चक्र की पीठ में कुछ अटकन का अनुभव होना:-

कई बार ध्यान' में रहते हुए हमें अपने कपाल के किसी स्थान पर कुछ अटकने जैसा अनुभव होता है वो भी तब जब हमारा चित्त किसी व्यकि/स्थान/विचार/स्थिति या स्वम् हमारे अपने ऊपर चला गया होता है।

तो उस क्षण हमें जानना चाहिए कि उस स्थान के चक्र की पीठ के देवी-देवता की निराकार शक्ति कपाल के उस स्थान विशेष को जो बाधित है, धीरे धीरे पोषित करने में लगी हैं।

iii) कपाल पर स्थित किसी भी चक्र की पीठ में दर्द का होना:-

जब कभी गहन ध्यान-अवस्था में यका याक चित्त किसी व्यकि/स्थान/विचार/स्थिति या स्वम् हमारे अपने ऊपर पर चला जाता है तो उस क्षण यदि दर्द का एहसास होने लगे तो हमें समझना चाहिए कि जो उस स्थान के चक्र की पीठ के निराकार देवी-देवता की अपना दुख प्रगट कर रहे हैं।

iv) कपाल पर स्थित किसी भी चक्र की पीठ में जलन का होना:-

जब कभी विचार रहित ध्यान के दौरान हमारा चित्त किसी व्यकि/स्थान/विचार/स्थिति या स्वम् हमारे अपने ऊपर पर जाता है तो उस क्षण यदि कपाल की ऊपरी परत के किसी भाग में जलन महसूस होने लगे।

तो हमें समझना चाहिए कि जो उस स्थान के चक्र की पीठ के क्षेत्र के निराकार देवी-देवता नाराज हो रहे हैं और हमें जलन के द्वारा अपने मनोभाव समझाने का प्रयत्न कर रहे हैं।

v) कपाल पर स्थित किसी भी चक्र की पीठ में तीव्र चुभन का होना:-

अक्सर 'ध्यानस्थ' स्थिति में हमारा चित्त किसी व्यकि/स्थान/विचार/स्थिति या स्वम् हमारे ऊपर चला जाता है और प्रतिक्रिया स्वरूप हमारे कपाल की ऊपरी सतह के किसी भाग के स्थान पर तीव्र चुभन की लहरें उठने लगे।

तो हमें ज्ञात हो जाना चाहिए कि उक्त स्थान विशेष के अधिष्ठा चक्र की पीठ के निराकार देवी-देवता अत्यंत क्रोधित हैं और कोपातुर होकर उस व्यक्ति/स्थान/स्थिति/विचार/अथवा हमें अपनी शक्तियों से वंचित करने जा रहे हैं।और साथ ही कपाल के उक्त स्थान विशेष पर कुछ बीमारी भी दे सकते।"
-----------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"


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