Thursday, December 22, 2016

"Impulses'---325---"ध्यान-वृक्ष"

"ध्यान-वृक्ष"


1)"ध्यान एक वृक्ष है, और 'आत्मज्ञान' उसका फल है, ये वृक्ष जितना बड़ा व् हरा भरा होगा उतने ही ज्यादा मीठे फल इस वृक्ष पर लगेंगे जिसका लाभ इस विश्व की सम्पूर्ण मानव जाति उठाएगी।

इस ध्यान रूपी वृक्ष को अच्छे से सींचने के लिए,

i)
उर्वर मनोभूमि, 

ii)"
माँ आदि शक्ति" की शक्ति रूपी जल धारा, 

iii)
प्रज्वलित 'आत्मा' की अग्नि,
 
iv)'
वात्सल्य-प्रेम' रूपी वायू,

V)"
परम कृपा" रूपी आकाश, व्

vi) चिंतन-मनन रूपी खाद की आवश्यकता होती है

तो आइये क्यों हम सभी "श्री माँ" के कल्पतरु बन सारे संसार व् इस रचना की सेवा में अपने इस अनमोल जीवन को "श्री चरणों" में सहर्ष अर्पित कर अपने अस्तित्वों के दायित्व से मुक्त हो जाएँ और वास्तविक रूप में "श्री माँ" के 'जन्म दिवस' को मानाने के अधिकारी बनें।"

--------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


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