Saturday, March 4, 2017

"Impulses"--346--"विवेकशीलता"

"विवेकशीलता"

"हम दैनिक जीवन में अक्सर देखते है कि आंधी-तूफान आते रहते हैं और चिड़िया उस स्थिति में चुपचाप किसी वृक्ष के कोटर में दुबकी हुई अपने बड़ी मेहनत से बनाये घोसले को नष्ट होता देखती रहती है।

तूफान गुजरने के तुरंत बाद बिना दुःख मनाये, बिना किसी की मदद की प्रतीक्षा किये, बिना किसी भी प्रकार की नाराजगी व् शिकायत के पुनः घोसला बनाने की अथक प्रक्रिया में जुट जाती है और जल्दी से अपना घोसला बना भी लेती है।

जबकि चिड़िया कितनी छोटी चेतना की प्राणी है फिर भी वो इस घटनाक्रम को हृदय से स्वीकार कर तो कभी थकती है और ही निराश ही होती है

परंतु अत्यंत अफ़सोस की बात है कि इतनी उच्च चेतना से युक्त मानव अपनी लिप्तता व् अज्ञानता के कारण छोटी छोटी हानियों से कितना विचलित व् उदास हो जाता है और अक्सर अपनी किस्मत को कोस कोस कर अकर्मण्य हो जाता है।

और अपने आंतरिक उथान के लिए मिले इस सुन्दर जीवन को तुच्छ चीजों के लिए गँवाता चला जाता है और अंत में छटपटाते हुए प्राण त्याग देता है।"

--------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"



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