Monday, April 10, 2017

"Impulses"--356--

"Impulses"

1)"An Enlightened Soul is not supposed to be escaped from the Evils of Human Society. 

But 'That One' is there to neutralize the 'Anti God', Anti Nature and 'Anti Human' Powers which are playing a vicious role against Humanity by keeping his/her 'Divine Attention' over such Negative Existences.

We all are made Enlightened by the "Mother" not only for our own 'Salvation' but also for the Redemption of other,s mind from the Rigid Grip of all kinds of Evils."


2)"सहज योग की दूरबीन से "श्री माँ" को देखने से अच्छा है, कि "श्री माँ" की गोद में बैठकर "सहज योग" को देखा जाये। यानि सहज योग को यदि हम पूर्ण रूप से जानना व् समझना चाहते है तो हमें "श्री माँ" के साथ एकरूप होना होगा।

"उनसे" एकरूपता हांसिल करने के लिए हमें लगातार अपने सहस्त्रार पर "उनकी" उपस्थिति को और "उनके" प्रेम की अनुभूति को अपने मध्य हृदय में महसूस करते रहना होगा।

क्योंकि "वो" हमारे हृदय के माध्यम से ही हमसे हमारे आत्मिक व् सांसारिक उत्थान के लिए मूक बातचीत करती हैं जो स्वत् उत्पन्न विभिन्न प्रकार की प्रेरणाओं के रूप में होती हैं।

इसके विपरीत केवल सहज योग के माध्यम से तो सहज योग को ही पूर्ण रूप से समझा जा सकता है और ही "श्री माँ" के सनिग्ध्य का ही आनंद उठाया जा सकता है।

सहजयोग तो केवल एक जरिया है "श्री माँ" के साम्राज्य में प्रवेश पाने का, ये तो मात्र दहलीज ही है, केवल दहलीज पर अटक कर भला "माँ" के सम्पूर्ण साम्राज्य का आनंद कैसे उठाया जा सकता है।"

---------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"

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