Monday, April 24, 2017

"Impulses"--359

"Impulses"

1)"जहाँ माता प्रकृति हमें एक "माँ" के रूप में पोषित करती है, दुलारती है, वहीँ उसका एक दूसरा रूप एक दर्पण के सामान कार्य करता है।
जिसमे हम स्वम् अपने द्वारा किये गए कार्यों की प्रतिक्रियाएं अपने स्वम् के जीवन में घटित होने वाली अच्छी व् बुरी घटनाओं के माध्यम से देख व् समझ सकते हैं।

कोई भी घटना हमारे साथ यकायक घटित नहीं होती, उसकी पटकथा हमारे ही द्वारा किये गए कार्यों के जरिये पूर्व में लिखी जा चुकी होती है।

किन्तु अज्ञानतावश उन कार्यों को हम किन्ही मन की भावनाओं से वशीभूत होकर कर डालते हैं और वो सभी चीजे "माँ प्रकृति" के स्मृतिकोश में संचित हो जाती है और बाद में प्रकृति माता हमें अपना निर्णय सुनाती है जो कभी कभी बेहद अरुचिकर होता है "



2)"बारिश अपने हिसाब से होती है, सूर्य अपने ही समय पर निकलता है, सर्दी या गर्मी अपनी मर्जी से ही पड़ती है। हम मानव प्रकृति-प्रदत्त घटना-क्रमो को अपने मन के मुताबिक संचालित नहीं कर सकते बल्कि जो भी घटित होता है उसे स्वीकार कर अपना जीवन यापन करते हैं।

तो क्यों अपने जीवन में भी घटित होने वाली घटनाओ के प्रति यही नजरिया रख कर अपने मन में चलने वाले व्यर्थ के संघर्ष व् विचारों से निजात पाएं और अपने जीवन को सुन्दरतम बना इसे सार्थक करे।"



3)"केवल चार ही चीजो के लिए प्रयास वांछित है:--

प्रथम, ईमानदारी, लगन, मेहनत व् पूर्ण निष्ठां से अपना व् अपने परिवार का पेट भरने के लिए।

दूसरा, "परमपिता-परमात्मा" से लगातार संपर्क बनाये के लिए।

तीसरा, अन्य लोगों को भी "उनके" प्रेम से जोड़ने की व्यवस्था करने के लिए।

चौथा, असत्य के विरुद्ध आजीवन संघर्ष करने के लिए।"

--------------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"


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