Friday, August 11, 2017

"Impulses"--393--"आत्मसाक्षात्कार देना =सांस लेना "

"आत्मसाक्षात्कार देना =सांस लेना " 


"सहज योग में "जगृतिदेना साँस लेने के ही बराबर है,जैसे जैसे आप 
अपने सहस्त्रार से दूसरों को देते जाते हैं वैसे वैसे उन सभी की "माँ कुण्डलिनीउनके सहस्त्रार पर आकर "माँ आदि शक्तिसे शक्ति प्राप्त कर 
सबसे पहले आप ही की कुण्डलिनी को अपनी शक्तियां देती जाती है।

और आपकी कुण्डलिनी सशक्त होकर आपको उत्थान की ओर अग्रसर करने में आपकी मदद करती है।

यही नहीं जब जब वह व्यक्ति ध्यानस्थ होगा तब तब उसकी कुण्डलिनी आपकी कुण्डलिनी को ऊर्जा प्रदान करेगी,येसिलसिला आजीवन चलता 
रहेगा। इसीलिए 'पाना देना है और देना पाना है'

अतः नए लोगों की कुण्डलिनी लगातार उठाते रहेंचाहे चित्त से उठायें या सशरीर उपस्थित होकर 'आत्मसाक्षात्कारदेंआप निरंतर प्रगति करते ही चले जायेंगे।"


------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"

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