Friday, August 18, 2017

"Impulses"--394--"श्री माँ"-'एक डाक्टर'

"श्री माँ"-'एक डाक्टर' 

"एक चर्चा हमेशा सुनने को मिलती रही है, कि अमुक सहजी "श्री माँ" के पास 15-20 बार जा चुके है। और वह सहजी भी बड़े गर्व से हर बार अपने "श्री माँ" के साथ के अनुभव ख़ुशी-ख़ुशी सभी को सुनाते है।

सुन-सुन कर अक्सर अन्य सहजी बड़े दुखी हो जाते हैं। वो भीतर ही भीतर सोचने लगते हैं कि, 'हमारे भाग इतने अच्छे नहीं रहे, जो हम साक्षात् "श्री माता जी" के सानिग्ध्य का एक बार भी लाभ नहीं उठा पाए।

मेरी चेतना ऐसे सहजियों से ये कहना चाहती है कि, '"श्री माँ" तो हम सब के लिए एक " डाक्टर" की तरह भी रही हैं। यदि कोई बार-बार 'डाक्टर' के पास जाये तो समझ लेना चाहिए कि जरूर उसे कोई गंभीर रोग है। या फिर आई सी यू पेशेंट है।

क्योंकि यदि "श्री माँ" को किसी सहजी को अपने साक्षात् स्वरूप के साथ काफी दिनों तक रखना पड़ा तो यकीनन उस सहजी के यंत्र की 'चैतन्य' को ग्रहण करने की क्षमता में कोई रुकावट रही होगी।

जिसके कारण "श्री माँ" ने उसे अपने साक्षात् अस्तित्व के 'ऊर्जा क्षेत्र' के सम्पर्क में काफी समय तक बनाये रखा ताकि उसका यंत्र सामान्य हो सके व् 'परम ऊर्जा' को ग्रहण करने योग्य हो सके।

वास्तव में उच्च दर्जे के सहजी तो वो होते हैं जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त "माँ आदि शक्ति" की समस्त शक्तियों व् स्वम् "उनके" अस्तित्व को अपनी 'चेतना' में निरंतर अनुभव करते रहते हैं।

ऐसे साधक/साधिका "श्री माँ" के 'स्वरूप मात्र' पर आश्रित नहीं होते वरन "उनके" प्रेम, करुणा व् संदेश को अपने चित्त, चेतना व् अस्तित्व के माध्यम से निरंतर प्रवाहित करते रहते हैं।" 

---------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"

(कृपया कोई बुरा  माने यह तथ्य की बात है)

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