Tuesday, September 5, 2017

"Impulses"--399--"चक्र-पकड़-निवारण"

"चक्र-पकड़-निवारण" 


बहुदा सहजी आपस में चक्रों की पकड़ व् बाधा के बारे में चर्चा करते पाए जाते हैं। एवम पकड़ महसूस होने पर काफी चिंतित भी होते रहते है।और उस पकड़ को समाप्त करने के लिए नाना प्रकार की क्लीयरिंग भी करते हुए देखे जा सकते हैं।


इस तथाकथित 'पकड़' को दूर करने के लिए मेरी चेतना एक अत्यंत सरल विधि आप सभी से शेयर करना चाहती है जो कभी भी, कहीं भी, किसी भी स्थिति व् हालात में आसानी से अपनाई जा सकती है।


यदि ध्यान में जाकर चैतन्य लहरियों को अपने सहस्त्रार मध्य हृदय पर महसूस करके किसी के चक्र या अपने स्वम् के चक्र पर चित्त डालें और ये भाव रखें कि, "हे कण-कण में व्याप्त "आदि माँ" आप इस चक्र में भी उपस्थित हैं।" तो कभी भी किसी भी चक्र में पकड़ नहीं आयेगी, यदि किसी के चक्र में कोई बाधा भी यदि होगी तो स्वत: ही समाप्त हो जाएगी।


इसी प्रकार से किसी भी स्थान पर चित्त रख कर हम "माँ आदि शक्ति"को सहस्त्रार से महसूस करें व् भाव रखे, "हे माँ आदि शक्ति", आप यहाँ पर भी उपस्थित हैं" तो वह स्थान भी स्वतः ही शुद्ध हो जायेगा हमारे चक्र भी नहीं पकड़ेगें। वास्तव में पकड़ इसीलिए आती है, क्योंकि हम 'पकड़' पर ही चित्त रखतें हैं "श्री आदि माँ" पर नहीं।"

------------------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"

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