Tuesday, October 31, 2017

"Impulses"--410--"ईर्ष्या-प्रशंसा का एक तरीका"

"ईर्ष्या-प्रशंसा का एक तरीका"

"यदि कोई हमारी अच्छी बातों के कारण हमारी खूब तारीफ करता है तो हम थोडा खुश होते हैं। और हम सोचतें हैं कि ये शख्स हमें प्रेम करता है और हमारी इसकी विचार धारा एक ही है। इससे हमारा उत्साह बढ़ जाता है और हम और भी अच्छा करने की सोचते हैं।

और इसके विपरीत जब कोई हमारे अच्छे कार्यों के कारण हमसे ईर्ष्या करता है। हमें सार्वजानिक तौर से या व्यक्तिगत रूप से नीचा दिखाने का प्रयास करता है। 

तो अक्सर हममे से ज्यादाता सहजी परेशान हो जाते हैं। और सोचने लगते हैं कि, 'हे "श्री माता जी" इस इंसान से हमें दूर ही रखिये'। या फिर कभी-कभी उसकी इन हरकतों के कारण अज्ञानतावश हम उसके बारे में बुरा भी सोच लेते है।

ऐसे में मेरी चेतना का भाव ये है कि उनकी ईर्ष्या के कारण हमें अपने आत्म विश्वास को और बढ़ा हुआ महसूस करना चाहिए। क्योंकि अप्रत्यक्ष रूप में वह आपकी खूबियों को और हाई-लाईट ही कर रहा है। 

वास्तव में वो आपके गुणों को ही स्थापित कर रहा है। उसकी ईर्ष्या आपकी खूबियों को पूर्णतया प्रमाणित ही कर रही है। वास्तव में वह अपने को आप से हीन ही समझ रहा है।"

(Anyone's jealousy is the biggest approval of your own Qualities.)

--------------------------------Narayan



"Jai Shree Mata Ji"

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