Saturday, January 7, 2017

"Impulses'---330---"कंगूरा"--अनुभूति -40

"कंगूरा" 

"नाज कर 'कंगूरे' अपनी शोखी और अदा पर,

जिस दीवार पर तू सजा है, उस दीवार को खड़ा किया है, उन नीव में 'दफ़न' ईंटो ने,

जो हर शख्स की नजरों से दूर, सुकून में बसर करती हैं,

मत जलील कर उन 'रहनुमा' ईंटों को, जिनकी 'तबियत--इश्क' ने तुझे ये मुकाम बख्शा है,

जिनकी बेपनाह मुहब्बत और रहमदिली ने ये 'बुर्ज खलीफा' बनवाया है,

और दुनिया की कद्र का तुझे ये मौका दिलाया है,

हकदार हैं वो सभी ईंटें उस 'कद्र--तारीफ' की,

जो जज्ब हो गईं हँसते हँसते, इक 'ख्याल-ऐ-गुलिस्तां' की खातिर,

उनकी 'दिले--तकलीफ' अब "खुदा" से भी सही जायेगी,

"अल्लाह" की नाराजगी 'क़यामत--जलजले' को उकसाएगी,

जिसकी खौफनाक हलचलें तेरी 'हस्ती--वजूद' को फिर से मिटटी में मिला जाएंगी।"


----------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"




(कंगूरा=बाहरी अस्तित्व(Personality),

दीवार=हमारा जीवन(Life),
नींव की ईंट=हमारी आत्मा(Spirit),
बुर्ज खलीफा=बेश कीमती मानव शरीर(Human Body),
'ख्याल-ऐ-गुलिस्तां'=मोक्ष (Salvation),
क़यामत--जलजला= 'मुक्ति' का सुनहरी अवसर खो देना जो 84 लाख योनियों से गुजर कर हमें प्राप्त होता है।
(Forced to go through the Longest 'Process of Evolution= Amoeba-Human, A very painful Journey for a Soul)



No comments:

Post a Comment