Friday, January 20, 2017

"Impulses"--335--"इक इल्तिजा"--अनुभूति-41 (14-04-16)

 "इक इल्तिजा"

" खुदा,'तेरे' कदमो में सर क्या रख दिया,

कि जमाने ने 'सर-आँखों' पर ही उठा लिया,

"तेरी जुस्तजू में दिन और रात क्या गुजरे,

सारी कायनात ने अपनी नजरों में बसा लिया,

नाचीज हुआ करता था कभी मैं खुद अपनी ही निगाहों में भी,

तेरी रहमत ने काबिले--तारीफ़ बना दिया,

बस अब कुछ चाहता नहीं हूँ मैं,

सिर्फ और सिर्फ तेरी रवायत के सिवा,

बस अब बहुत हुआ, बहुत करली हमने "तेरी" इस दुनिया से वफ़ा,

कभी राजी हुए लोग तो कभी हमसे हुए खफा,


पर "तू" होना कभी अपने इस बन्दे से जुदा।"

-------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"

No comments:

Post a Comment