Monday, June 5, 2017

"impulses"--376

"Impulses"


1)"ध्यान एक 'महासागर' की तरह से है जो हमारी अनेको प्रकार की भौतिक व् अलौकिक मनो-दशाओं, मनो-वृतियों, स्मृतियों, चिंताओं, चिंतन, भावनाओं, अनुभूतियों व् अनुभवों रूपी नदियों को अपने भीतर समां कर हमें अनंत आनंद, वात्सल्य व् प्रेम प्रदान करता है।
क्योंकि यह हमें "परमपिता" के "श्री चरणों" में स्थित कर देता है जहाँ हम पूर्ण रूप से स्व्तंत्रता का स्वाद चख पाते हैं "


2)"एक तरफ तो हम अपने अपने गुरु तत्व को जगाने के लिए "श्री माँ" से प्रार्थना करते हैं कहते है "श्री माता जी हमें स्वम का गुरु बना दीजिये" और यदि किसी का गुरु तत्व जाग्रत हो जाता है और वह जाग्रति देने लगता है तो उसको अक्सर अन्यों के द्वारा रोका जाता है, कहा जाता है की जाग्रति देने का तरीका गलत।

यह बात बड़ी हास्यापद है, क्योंकि कुण्डलिनी का जागरण केवल "आदिशक्ति" ही कर सकती हैं, ये बात सब भूल जाते हैं। अत: एक दूसरे के गुरु तत्व का सम्मान करना चाहिए। जब स्वम "श्री माता जी " ने बताया है कि दस गुरु होते हैं जिनकी सूक्ष्म चेतना हमारे भीतर विद्यमान है। और एक हम स्वम्, आत्म-साक्षात्कार के बाद 'स्वयं-के-गुरु' पद को प्राप्त होते हैं तो हम सभी कम से कम 11 प्रकार से ही सहज सीखेगे बताएँगे।"

-------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"



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