Thursday, February 3, 2022

"Impulses"--568-- "'जिल्लत' या 'किल्लत'"

 "'जिल्लतया 'किल्लत'"


"अक्सर बहुत व्यक्ति अपने जीवन की अनेको परेशानियों से घिरे होते हैं और अत्यंत दुखी होकर अक्सर अपने दुखों के बारे में चर्चा करते हैं।

वे बताते हैं, 'कि हमें अपने अमुक पारिवारिक सदस्य के कारण बहुत पीड़ा अपमान झेलना पड़ता है जिस पर हम आर्थिक रूप से निर्भर करते हैं।

कई बार तो इतनी घुटन महसूस होती है कि हमारा दिल करता है कि हम अपने जीवन को समाप्त कर लें अथवा कहीं भाग जाएं।'

ऐसे समस्त पीड़ितों से हमारा यह कहना है कि,

यदि आप इन सभी परेशानियों से दूर होना चाहते हैं तो आपको दो विकल्पों में से एक को सहर्ष चुनना होगा।

*या तो अपने जीवन में आये दिन घटित होने वाली 'जिल्लत' को खुशी खुशी स्वीकार कर लें, और यदि स्वाभिमान के साथ जीना चाहते हैं तो कुछ दिन के लिए 'किल्लत' को चुन लें।*

दोनों ही दशा में आपकी यह परेशानी हल हो जाएगी और आप रोज रोज के तिल तिल कर मरने से बच जाएंगे।"

------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


19-11-2020

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