Saturday, February 12, 2022

"Impulses"--571-- "बाह्य धर्म मात्र एक मार्ग"

 "बाह्य धर्म मात्र  एक मार्ग"


"संसार में आज लगभग 222 प्रकार के धर्मों/मतों का अनेकों लोगों के द्वारा अनुसरण किया जा रहा है जो अपने 'स्थापना काल' में "परमात्मा" से जुड़ने के मार्ग माने जाते रहे हैं।

और इन सभी बाह्य धर्मो/मतो के प्रति अनुयाइयों की जड़ता होने के कारण ही आज विश्व में लगभग सभी स्थानों पर धार्मिक झगड़े होते रहते हैं।

जबकि समस्त सद्गुरुओं/सन्तो/"ईश्वर" के अवतारों' ने कभी भी किसी भी बाह्य धर्म का पालन करने की बात नहीं की और ये कभी भी किसी भी धार्मिक स्थान पर ही गए।

*इन सभी ने तो केवल और केवल अपने 'हृदय' में ही "परमात्मा" को नित्य खोजने अनुभव करने पर ही बल दिया।*

*दुर्भाग्य से हम जिस मार्ग को भी अपना कर नियमबध्द तरीके से उसका पालन करने लगते हैं तो संस्कारों का जन्म होता है और ये पूर्व संस्कार ही वर्तमान काल में उपलब्ध "परमपिता" से मिलने नहीं देते।*

यदि हम वास्तव में "भगवान" को पाना चाहते हैं तो अपने 'स्वयं' के हृदय में उतर कर सीधे,सरल स्वाभिक रूप से "उनको"अनुभव करना होगा जैसे कि अपने किसी 'परम मित्र' के प्रेम को हम स्मरण करने के साथ साथ अनुभव करते हैं।"


----------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


22-11-2020

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