Friday, April 1, 2022

"Impulses"--588-- "झूठ की हानि"

 "झूठ की हानि" 


"दैनिक जीवन में हम अक्सर देखते हैं कि लोग बात बात में झूठ बोलते हैं और झूठा आचरण करते हैं।

झूठ को अपने जीवन का अंग-प्रत्यंग बनाने वाले ऐसे लोगों को यदि इसकी हानियों का एहसास हो जाय तो शायद मिथ्या-वाचन/आचरण बन्द कर दें।

*"ईश्वर" ने हमारे मस्तिष्क जो इस प्रकार से निर्मित किया है कि यह केवल सत्य को ग्रहण करके ही सुचारू रूप से चलता है।*

यदि मन के चंगुल में फंस कर यह असत्य को ग्रहण करने के लिए मजबूर हो जाये तो यही मस्तिष्क जहर का निर्माण कर हमारे स्नायु तंत्र को कमजोर करना प्रारम्भ कर देता है।

जिससे अनेको प्रकार के मनोदैहिक रोग लगने शुरू हो जाते हैं जो कुछ समय बाद हमारे शरीर के अंगों को नष्ट करना प्रारम्भ कर देते हैं।

*बिमारियों के लगने का यह सिलसिला डिप्रेशन,एग्रेशन,शिजोफ्रेनिया,ब्लड प्रेशर,शुगर से प्रारम्भ होता है और फिर लिवर, किडनी, हॄदय, ब्रेन,कैंसर और गैंग्रीन जैसी घातक बीमारियों पर समाप्त होता है।*

यानि सत्य के विरोध में चलने वाले मानव को 'प्रकृति' इन्ही बीमारियों के जरिये धीरे धीरे मिटाना शुरू कर देती है।

यदि कोई किसी निर्दोष के जीवन को बचाने के लिए झूठ बोल दे तो केवल यही झूठ क्षम्य होता है।"


--------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


10-12-2020

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