Friday, August 6, 2010

अनुभूति-- 10, "तड़प"----27.12.06

अनुभूति--10, "तड़प" 27.12.06(1.30 a.m)

सुख सुख नहीं केवल, दुःख सहने का सिला है,
इस सुख को, अल्लाहताला से ये गिला है,
क्यों मुझको इतनी कम उम्र जीने का मोका मिला है,
हर आदमी क्यों मेरे पीछे पड़ा है,
हर कोई मुझे अपने साथ बांध कर रखना चाहता है,
पर मेरा जिस्म, उनके हाथ से हर रोज फिसलता जाता है,
लगता है खुदा ने, मेरे जिस्म पे इक अजीब तेल मला है,
जो पकड़ता है मुझे, वो पूरी जिन्दगी तड़पता है,
इस तेल का असर आजीवन, उसके दिलो दिमाग में बसता है,
इसी की निशानी को लेकर, वो मुझे ढूंढते भटकते फिरते हैं,

मुझको फिर से पाने की चाहत में, दुःख के हर दौर से गुजरतें हैं,
कर जाते हैं वो सभी कुछ, जिसको करने की ताकत वो नहीं रखते हैं,
रोते, छटपटाते, हर घडी, हर पल मुझे वो याद करतें हैं,
कभी डिप्रेशन तो कभी एग्रेशन में, वो यूँ ही वक्त बर्बाद करतें है,
मेरी छीना झपटी में, वो हर पाप तक कर जातें हैं,
कर कर के अच्छे बुरे करम, वे लाख चौरासी के चक्कर में आते हैं,
देख देख कर मेरे सपने, वो अपने को भर्मातें हैं,
रहता हूँ मैं जब उनके साथ, सुध मेरी वो कभी नहीं लेते हैं,
जाता हूँ जब दूर में उनसे, फिर मेरी ओर चल देते हैं,

कैसा अजीब ये चक्कर चलाया, इस परवरदिगार ने,
खुद करके मुझे वो आगे, खुद वो पीछे हट जाते हैं,
इसीलिए दुःख से तड़पते लोगों के पास वो भेजतें, मुझे हैं,
सुख के रूप में उन्हें, खुद अपनी झलक दिखाते वो हैं,
सुख और दुःख ये दोनों, उनके ही रूप बने हैं,
"श्री चरनन" में आकर दोनों एक रूप हो जाते हैं,
दिया भरम है दुनिया को उन्होंने, अपने तक आने का,
सच्चे हृदय से जो दुःख अपनावे, वही इस भेद को जानेगा,
सुख से दुःख है, दुःख से सुख है, बन गए ये "अर्धनारीश्वर",
दोनों भाव जब मिल जाते, कहलाते ये ईशवर,

इधर से देखो, खड़े वो मिलते हैं, उधर से देखो, खिल्खिलातें वो हैं,
दोनों को देखता जो एक साथ, पाता वही "श्री चरनन" में वास,
रहती नहीं इच्छा कोई उसके आस पास, करता है वो कैलाश में निवास,
इधर रुकता है, उधर भटकता है, रखता नहीं वो किसी से आस,
बन जाता है वो दाता, हर रोज वो केवल उसी से है पाता,
उसे कोई सुख व् दुःख सताता, हर वक्त वो अल्लाह ताला से है बतियाता,
उसका दिया इंसानी जीवन, मौज से है बिताता,
वास्तविक रूप से "सहजी" बनकर, राग "श्री माँ" के गाता,

----------नारायण

"जय श्री माता जी"

No comments:

Post a Comment