Monday, August 9, 2010

अनुभूति--7, "निर्वाण", 18.12.06-(रेल यात्रा)

अनुभूति--7, "निर्वाण" 18.12.06

भूखे थे कभी
अब संतुष्टि की ठानी है,
मेरी चेतना
अब ये तेरी अंतिम बारी है,
अब कौन देस जाने की
तेरी तैय्यारी है,
इस अगली यात्रा की तूने
कैसी धारी सवारी है,
शटरिपुओं अब तुम पर
चोट ये करारी है,
शायद इस बार तेरी ये इच्छा
इस दुनिया पर भारी है,
इस बार "माँ आदि" ने, तेरी गति संवारी है,

--------नारायण

No comments:

Post a Comment