Wednesday, February 9, 2011

"Impulses"----Contemplation--------चिंतन----------12----------09.02.11

"Impulses"----"चिंतन"



1)"अक्सर सहजी "श्री माता जी" के स्वास्थ्य को लेकर प्रार्थना करते रहतें हैं कि "हे परमात्मा 'श्री माता जी' को सदा हमारे बीच स्वस्थ रखिये", और 'माँ' की अस्वस्थता से चिंतित भी होते हैं यदि हम सभी 'श्री माँ' को अच्छा देखना चाहते हैं तो हमें केवल एक ही कार्य करना होगा और वो है चैतन्य के मामले में अपने पावों पर स्वम खड़ा होना होगा, यानि अपने-अपने सहस्त्रारों के द्वारा चैतन्य की कमाई सहस्त्रार पर उपस्थित 'माँ आदि शक्ति' के माध्यम से की जाये और इसके द्वारा दूसरों को जाग्रति दी जाये ऐसा करने से सदा हमारे चक्र ठीक रहेंगे 'माँ निर्मला' का शरीर पूर्णतया ठीक ही रहेगा संसारी माता-पिता भी बच्चे को अपने पावों पर खड़ा करने तक ही उसकी देखभाल करते हैं पैसे से भी उसकी कमाई होने तक मदद करतें हैं, बड़ा होने पर वो चाहते हैं कि बच्चा 'आत्म-निर्भर' बने अपनी कमाई स्वम करे अत: हमें भी 'माँ निर्मला' को अब ज्यादा तंग नहीं करना चाहिए अपनी-अपनी कमाई कर कर के स्वम भी खाना चाहिए दूसरों को भी कमाना सिखाने में उनकी मदद करनी चाहिए तभी हम सब की 'माँ' स्वस्थ रह पाएंगी 'वो' सदा से यही चाहती थीं "

(If we want to see our 'Universal Mother' healthy, we must be independent in all manners in meditation, we must always take help from 'Adi Shakti' who always resides at our Sahastrara and give connectivity to every human being with the help of our attention from Sahastrara.)


2)"यदि कोई हमारी अच्छी बातों के कारण हमारी खूब तारीफ करता है तो हम थोडा खुश होते हैं और सोचतें हैं ये शख्स हमें प्रेम करता है और हमारी इसकी विचार धारा एक ही है, इससे हमारा उत्साह भड़ जाता है और हम और भी अच्छा करने की सोचते हैं, और इसके विपरीत जब कोई हमारे अच्छे कार्यों के कारण हमसे ईर्ष्या करता है हमें सार्वजानिक तौर से या व्यक्तिगत रूप से नीचा दिखाने का प्रयास करता है तो हम अक्सर परेशान हो जाते हैं और सोचतें हैं कि 'हे श्री माता जी इस इंसान से हमें दूर ही रखिये' या फिर कभी-कभी हम उसके बारे में बुरा भी सोच लेते है ऐसे में मेरा भाव ये है कि हमें अपने आत्म विश्वास को और भडा महसूस करना चाहिए क्योंकि अप्रत्यक्ष रूप में वह आपकी खूबियों को और हाई-लाईट ही कर रहा है, वास्तव में वो आपके गुणों को स्थापित कर रहा है उसकी ईर्ष्या आपकी खूबियों को पूर्णतया प्रमाणित ही कर रही है,वह अपने को आप से हीन ही समझ रहा है"(anyone's jealousy is the biggest approval of your qualities.)


3)" सहज में आने के उपरांत मुख्यत: तीन प्रकार के योग मुझे नजर आये:-
पहला, सहज में स्थापित होने के लिए सहज तकनीक योग- जिसमे साधक विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को लगातार करते रहतें, जैसे जूता-पट्टी, कैंडलिंग, मटका, धूनी, स्ट्रिंग-नाटिंग, पेपर-बर्निंग, अल्लाह-हो-अकबर और फूट-सोकिंग इत्यादि, वे हर समय केवल इन्ही क्रियाओं के बारे में ही सोचते रहतें हैंहैं और दूसरे साधकों को भी हर दिन ऐसा करने के लिए प्रेरित करते रहतें हैं और यदि सहज संस्था में किसी पद पर हैं तो फिर तो माइक पर हर सप्ताह यही सब कहते रहतें हैं


दूसरा योग है सहज संस्था योग:-इससे प्रभावित साधक हर हफ्ते सहज सेंटर जायेंगे और कोरडीनेटर के इर्द-गिर्द घूमते रहेंगे उसको अन्य सहजियों की ख़बरें नमक-मिर्च लगा- लगा कर उसके कानो में फुसफुसाते हुए कहते रहेंगे मानो कोई पुलिस का मुखबिर अपराधियों की ख़बरें गुप-चुप देता है, कभी इसकी बुराई कभी उसकी बुराई करते रहेंगे, और सबसे हास्यपद बात तब होती है यदि वो सहजी उनके सामने जाता है तो बड़े प्रेम से 'प्लास्टिक इस्माइल' के साथ 'जय श्री माता जी' भी जरूर कह देते हैं और जाने के बाद फिर बुराई शुरूऐसे लोग सदा पदाधिकारियों के चारों ओर ही घूमते रहतें हैं और सदा खबर-नबीस का रोल ही अदा करतें हैं और संस्था की गंदी राजनीती में लिप्त रहतें हैंऐसे लोगों का सहज योग से कोई लेना-देना नहीं होता है। 


तीसरा योग है,"श्री माँ"योग, इससे जुड़े साधक सच्चे हृदय से 'श्री माँ' में ही डूबे होते हैं, सबसे सच्चे हृदय से प्रेम करतें हैं, जो भी कुछ 'माँ' से पाते हैं वो सभी कुछ सभी को बाँट देना चाहतें है, चाहे कोई उनकी कितनी भी बुराई करे, चाहे कितनी भी ईर्ष्या करे, फिर भी वे सदा प्रेम भाव ही बनाये रखतें हैं, सदा 'माँ ' के प्रेम को जन-जन में बहाते रहतें हैं, कभी भी किसी बात से नहीं डरते, उन्हें मान सताता है और उन्हें अपमान, वास्तव में ऐसे ही सहजी का स्वरुप 'श्री माँ' चाहतीं हैं।"

4)" यदि कोई साधक ये चैक करना चाहता है कि वो मुक्त अवस्था में पहुँच गया है या नहीं तो केवल इतना ही देख ले कि उसके अन्दर 'खोने का डर' समाप्त हो गया है कि नहीं, यदि कोई डर नहीं है तो यही 'मुक्त अवस्था' है।"



-----------------------------------------------Narayan


"Jai Shree Mata ji"







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