Friday, February 18, 2011

Contemplation---चिंतन------18-----"स्वप्न "--------18.02.11----"Dreams"

"स्वप्न "


"कभी-कभी हम सब के बीच में सपनो को लेकर चर्चा चलती रहती हैकोई कहता है कि मैंने ये सपना देखा जो बहुत अच्छा था कोई कहता है बहुत बुरा सपना देखा, बहुत डर लगाहर मनुष्य हर रोज कोई कोई सपना अवश्य देखता है चाहे उसे याद हो या याद होजबकि ये केवल सपने होते है फिर भी हमारे ऊपर सपनो का असर क्यों होता है ? क्यों हम कभी बहुत ही प्रफुल्लित मन से उठते हैं और क्यों कभी-कभी हम निराशा के साथ सुबह उठते है ? जबकि हम सभी जानते हैं कि ये जो हमने सपने में देखा ये वर्तमान नहीं है, ये हमारे जीवन में घटित नहीं हो रहा हैआखिर ये सपनो का संसार हमारे जीवन में क्यों घटित होता है ? और खास तौर से सहजी तो 'श्री माँ' से सम्बंधित सपनो को बड़े गर्व चाव के साथ सबको जरूर सुनाते हैक्यों आती हैं 'श्री माँ' हमारे सपनो में ?

मेरे विचार से सत्य एक ही है, और उसको तीन हिस्सों में बाहरी जीवन को गति देने के लिए बांटा हैजिसको हम, ) भूत काल जिसका प्रतिनिधित्व हमारा 'अवचेतन मन ' करता है
) भविष्य काल जो हमारे 'अति चेतन मन' के द्वारा प्रगट होता है तीसरा है,
) वर्तमान काल जो 'पूर्ण चेतन मन' के द्वारा जो भी हमारे पास उपलब्ध है उसका आनंद उठाते है
आम स्थिति में हमारे स्वप्न विचार इन्ही तीन संस्थानों से ही आते हैं। या यूं कहिये कि हमारे अन्दर चलने वाले विचारों का 'विजुअल प्रोजेक्शन' ही'स्वप्न' है। हमारी चेतना यदा-कदा इन्ही तीनो को जाने-अनजाने में छूती रहती है और हमें पिछली या आने वाली घटनाओं का आभास दिलाती रहतीं हैइसी को ज्योतिष शाष्त्री 'लिंडा गुडमैन' ने 'डेजा वू' कहा है, यानी ऐसा लगना कि हम पहले भी कभी इस स्थान पर चुके हैं या किसी भी व्यक्ति से पहले भी मिल चुके हैंऔर जबकि वास्तविक में हम कभी वहां गए ही नहीं होते या उस व्यक्ति से इस जीवन काल में कभी भी नहीं मिले होते और ऐसा अक्सर सहजियों के साथ होता ही हैजब भी किसी भी नए सहजी से मिलते हैं तो कभी भी नया नहीं लगता हमेशा ऐसा लगता है कि हम पहले भी कहीं मिले हुए हैंऔर ये बात सच है, हम सब वही पुराने लोग हैं जिन्हें 'श्री माँ' ने दुबारा एक नए प्रयोजन के लिए जोड़ा है

हम जो भी कार्य वर्तमान में कर रहे होते है उसकी स्मृति के कुछ अंश हमारे दाहिने मस्तिष्क(लेफ्ट अग्न्या) के स्मृति-कोष में संचित होते जाते हैं और जो भी भविष्य के प्रति योजनायें बनाते है उसकी स्मृति के अंश हमारे बाएं मस्तिष्क (राईट अग्न्या) के स्मृति-कोष में एकत्रित होते जाते हैंयह कार्य अनवरत चलता रहता हैजो भी हम जीवन वास्तविक रूप में जी चुके होते हैं या दूसरे को जीते हुए देखते हैं और उनमे से जो भी चीज हमें बहुत भाति है या बहुत बुरी लगती है, उसमें से उसकी भी कुछ अच्छी या बुरी यादें छंट कर हमारे एक विशेष स्मृति-कोष में भी जाती रहतीं हैऔर जो हम भविष्य के लिए सोचते हैं और सोच कर संतुष्ट हो जाते हैं तो इस सोची गई भविष्य की संतुष्टी या समाधान की स्मृति भी इस विशेष स्मृति-कोष में अपने आप ट्रान्सफर हो जाती हैऔर ये भी भूत काल का हिस्सा बन जाती हैक्योंकि जिसे हम एक बार सोच लेते हैं और उसका कोई हल निकाल लेते हैं तो भले ही वो भविष्य की बात हो किन्तु हल निकलने के बाद ये भूत काल ही बन कर हमारे 'लेफ्ट अग्न्या ' में ही संचित होती है

हमारा दिमाग बिलकुल कंप्यूटर की तरह ही कार्य करता है, कंप्यूटर पर हम जो भी कार्य करते हैं उसकी 'टेम्परेरी फाइलें' C drive में अपने आप save होती जातीं हैऔर जब temp. फाइल ज्यादा हो जातीं हैं तो कंप्यूटर धीमा हो जाता है और एक समय पर आकर hang भी हो जाता हैऔर ऐसा अक्सर हमारे मस्तिष्क के साथ भी होता हैपरिणाम हम जब इसका अत्यधिक प्रयोग करते जाते है तो हमारे सर में दर्द होने लगता है यानि मस्तिष्क की 'मेमोरी ' भर गई हैऔर हम यह कहने लगते हैं कि हमारा दिमाग अब थक गया है

कंप्यूटर की तो हम temp. files को डिलीट करके उसकी स्पीड को पुन: ठीक कर लेते हैं परन्तु दिमाग की टेम्परेरी फाइल्स को डिलीट करना आसान नहीं हैइसका तो केवल एक ही तरीका है और वो है सहस्त्रार से 'माँ आदि' को 'हृदय' में ग्रहण करना इस ऊर्जा का आनंद उठाते रहना, ऐसा करने से हमारे दिमाग में एकत्रित अनुपयोगी 'फाइलें' अपने आप डिलीट होने लगतीं है और हम हल्का महसूस करतें है पर ऐसी स्थिति में सदा रहना सबके लिए संभव नहीं हैतो इसी के लिए 'परमात्मा' ने स्वप्न के माध्यम से मस्तिष्क के स्मृति कोशों को खाली करने के लिए एक जरिया बनाया हैऔर हमारे भीतर निरंतर चलने वाले विचार भी मस्तिष्क को खाली करने वाली प्रक्रिया ही है (so dreams and thoughts are nothing but an out-let and release of our undue memory of our brain which may be harmful for our internal machinery).

जिस चीज की तरफ हमारा मन ज्यादा खिंचता है या कोई चीज हमारे लिए बहुत आवशयक होती है और वो वस्तु या व्यक्ति हमारे पास नहीं होता और होने की सम्भावना भी नहीं होतीतो ऐसे में उस मानव की यंत्रणा को कम करने के लिए हमारा मस्तिष्क उसी चीज को हमारे सपनो में पूरा करता है, जितनी देर हमारा सपना चलता है अवचेतन मन में हम उतनी देर तक उस चीज के अपने पास होने की संतुष्टी महसूस करते हैं और हमारे 'नर्वस सिस्टम' को आराम मिल जाता है, क्योंकि जागृत अवस्था में हम उसी इच्छित वस्तु के अपने पास होने के बारे में सोच-सोच कर तनाव ग्रस्त होते जा रहे थे और हमारे दिमाग की नसें नाड़ियाँ सख्त होती जा रहीं थींइसीलिए हमारे तनाव को कम करने के लिए हमारे मस्तिष्क ने उसी चीज का स्वप्न दिखाया और हमें कुछ देर के लिए शांत कर दियाअगर ऐसा हो तो हमारा मस्तिष्क अत्यधिक तनाव की वजह से फट(ब्रेन हैमरेज) भी सकता है

स्वप्न का एक दूसरा रूप 'दिवा-स्वप्न' (fantasy), इस अवस्था में मानव जागते हुए अपनी इच्छित वस्तु की कल्पना करता है और उसी कल्पित वस्तु के साथ समय बिता कर उन क्षणों का आनंद उठता है और अपने तनाव को कम कर पाता हैये सारी सुविधाएँ हमारे मस्तिष्क ने अपने को सुचारू रूप से चलाने के लिए रखीं है

जब ये मस्तिष्क ध्यान के माध्यम 'आदि शक्ति' को प्राप्त करते रहने से और जागृत हो जाता है तो ये हमें अंतर-यामी भविष्य -द्रष्टा भी बना देता है, हमें बिना बताये ही बहुत सी चीजों का अपने आप पता चल जाता है, चाहे वो चीजे भूत, भविष्य या वर्तमान काल की ही क्यों न हों, क्योंकि सहस्त्रार के पूर्ण खुलने के बाद हम 'आदि शक्ति' यानी सत्य को छूते हैं और हमारे अग्न्या के तीनो हिस्से जागृत हो जाते हैं और हमें स्वत: ही बहुत कुछ पता लगने लगता हैऔर तब 'श्री माँ' हमारे तीनो 'मनों' में प्रवेश कर पातीं हैं और हमारे स्वप्न में आकर हमें बहुत सा ज्ञान, अपना सनिग्ध्य प्रेम हमें देती हैंजिस व्यक्ति का सहस्त्रार पूरी तरह खुल जाता है वो भी किसी के सपनों में यदि चाहे तो प्रवेश कर सकता है और उसे अपना साथ या सन्देश दे सकता है(so our dreams are some sort of beautiful communication and living with the things which are not feasible in our conscious state or in our practicle life. So enjoy your dreams and thoughts but be sure you must be connected at your both the points like Sahastrara and Central Heart only then they may come true. Good luck for the amazing journey of Dreams.)

-------------------------------------------------Narayan


"jai Shree Mata ji"

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