Tuesday, May 9, 2017

"Impulses"--363--"विचारिता"

"विचारिता"

"आम हालात में विचारिता कोई समस्या नहीं है बल्कि इस भौतिक जगत में विकसित होने व् संतुलित रूप से विचरण करने के लिए एक गाइड व् सहायक के रूप में हमारी मदद करती है

किन्तु आध्यात्मिक जगत का आनंद लेने के लिए यही विचारिता हमारी सबसे बड़ी बाधा बन कर हम को 'ध्यान अवस्था' की ऊंचाइयों को छूने नहीं देती।

क्योंकि हम "अनंत-प्रभु-प्रेम" को भला अपने मन के सीमित ज्ञान के द्वारा कैसे समझ सकते है जो केवल और केवल 'दृश्यमान' रचना को जानने के लिए बनाया गया है

उस 'अदृश्य-प्रभु-सत्ता' तो हमारे हृदय के द्वारा पूर्ण निर्विचार अवस्था में ही महसूस की जा सकती है। जिसको कभी देखा ही नहीं तो हम उसका विचार कैसे कर सकते है

यदि किसी महान मानवीय अस्तित्व के द्वारा ईश्वर को देखे व् महसूस किये जाने का वर्णन भी हमें उपलब्ध हो जॉय तो भी हम उस स्तर तक विकसित हुए बिना "उनके" बारे में विचार कर ही नहीं सकते।


अतः "ध्यान स्थिति" में 'निर्विचारिता' की ख़ामोशी में ही "वो"बोलते व् सुनते प्रतीत होंगे और हमारी गहनता को बढ़ाने में मददगार होंगे।"

--------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"

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