Saturday, May 13, 2017

"Impulses"--365--"तूलना पीड़ाओं का पुलिंदा"

"तूलना पीड़ाओं का पुलिंदा " 

"अक्सर लोग एक दूसरे की उपलब्धियों व् प्राप्तियों को देख कर स्वम् को निम्न व् हींन समझने लगते हैं और फिर अपनी किस्मत को दोष देना प्रारम्भ कर देते हैं और कभी कभी तो दूसरों की सफलता को देख देख कर भीतर ही भीतर ईर्ष्या भी करने लगते हैं।

परंतु ये समझ नहीं पाते कि सभी मानवों को "परमपिता" उनके पूर्व जीवन के कार्मिक प्रतिफलो व् वर्तमान जीवन में सच्ची लगन, सच्ची श्रद्धा, सच्ची मेहनत व् ईमानदारी के साथ किये गए कार्यों के अनुरूप ही हर चीज प्रदान करते हैं।

जरा चिंतन करके देंखे कि, 

क्या हम वैसा ही जीवन जीते हैं जैसा वो इंसान जी रहा है जिससे हम अपनी तूलना कर रहे हैं ?

क्या वैसे ही हालात में हम रह रहे है जैसा कि उसकी परिस्थितियां हैं ?

क्या हम अपने जीवन को उन्नत करने के लिए उतनी ही मेहनत करते हैं जितना हमारे सामने जो शख्स मौजूद है वो करता है ?

क्या हमारी भी वहीँ प्राथमिकता है जो दूसरे व्यक्ति अपने जीवन में रखता है ?

क्या हमारे भीतर अपने चारों तरफ रहने वाले लोगों के प्रति उतना ही प्रेम व् वात्सल्य है जितना सामने वाले में प्रतीत होता है ?


अतः किसी के भी प्रति नकारात्मक तूलना करने व् ईर्ष्या का भाव रखने से पूर्व निम्न बातों पर शांत भाव से विचार करने से ही अपना स्वम् के जीवन का सत्य हमारे ही सामने उजागर हो जाएगा और हम भीतर में शांति व् संतुष्टि महसूस करेंगे "

--------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"

No comments:

Post a Comment