Thursday, May 11, 2017

"Impulses'--364--"सदा सनातन भ्रम"

"सदा सनातन भ्रम" 
"पूरे जीवन इंसान अपने बाहरी अस्तित्व (जो एक दिन सुनिश्चित रूप से मिट ही जाएगा,) को आराम दायक हालातों में रखने के लिए प्रयास करता रहता है और अनेको प्रकार के आवश्यक व् अनावश्यक संघर्ष करता रहता है।

आज का अज्ञानी मानव अक्सर प्रकृति के विपरित चला जाता है जिसके कारण वह भीतर व बाह्य स्तर पर बेहद तकलीफ में आता जाता है, पर भीतर की पीड़ा को कम करने के लिए ज्यादातर समय ही नहीं निकालना चाहता

कितने आश्चर्य की बात है की मिटने वाली चीजों के लिए आजीवन संघर्ष और जो समस्त प्रकार के संघर्षों में मदद करता है उसके लिए टाइम नहीं है कहकर जीता रहता है।वह हरपल अनेकानेक दुखों का भागी बनता रहता है और अपनी किस्मत को निरंतर कोसता रहता है।


यदि अपने भीतर को कुछ समय दे तो हर तकलीफ में भी कभी कोई तकलीफ महसूस हो, ये वो चीज होती है जिसमें कभी कोई संघर्ष ही नहीं होता वरन बड़े ही प्रेम से इंसान की सम्हाल होती है

------------------------------------------------Narayan
"Jai Shree Mata Ji"

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