Tuesday, March 8, 2022

"Impulses"--579--"आज का सत्य"

 "आज का सत्य"

 

"जब से "परमेश्वरी" ने मानव का निर्माण किया है तब से आज तक 'सत्य' भी काल परिस्थिति के अनुसार परिवर्तित होता रहा है।

क्योंकि 'सत्य' का सीधा सम्बंध मानव की चेतना से है या यूं कहें कि "परमात्मा" मानव की चेतना की 'उत्क्रांति' विकास के लिए ही सत्य को कालानुसार स्थापित करते रहे हैं।

*इसीलिए जैसे जैसे मानवीय चेतना उन्नत होती जाती है वैसे वैसे 'सत्य' का स्वरूप भी बदलता जाता है।*

यह बिल्कुल ऐसे ही है जैसे मोबाइल को वर्तमान काल की आवश्यकतानुसार निरन्तर अपग्रेड किया जा रहा है।

*जो भी जागरूक 'सत्य का खोजी' होता है वह हर काल में सत्य के परिवर्तित स्वरूप रूप को पहचान कर उसको अंगीकर कर लेता है।*

-------------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


01-12-2020

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