Saturday, March 26, 2022

"Impulses"-586-किसान हमारे देश की रीढ़

 किसान हमारे देश की रीढ़


"हमारे देश के किसान हमारे देश की रीढ़ की हड्डी हैं,यदि यह हड्डी टूट कर बिखर गई तो देश को पूरी तरह बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता।

हमारे देश की 70% आबादी कृषि से जुड़ी हुई है जिस पर हमारे देश की सारी की सारी अर्थव्यवस्था टिकी हुई है।

*जो भी लोग किसानों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं उनके आंदोलन का विरोध कर रहे हैं सही मायनों में उन्हें अन्न, सब्जी फल को हाथ लगाने का अधिकार ही नहीं है।*

ये अज्ञानी लोग शायद यह भूल गए हैं कि प्राचीनकाल में हमारे देश भारत का मूल व्यवसाय खेती ही होता था और हमारे देश की GDP, पूरे विश्व की GDP का 25% हुआ करती थी।

*अंग्रेज हमारे देश की सम्पन्नता को देख कर ही व्यापारी बन कर यहां आए थे जिन्होंने उस काल की सत्ता में बैठे लोभी गद्दार लोगों को लालच देकर अपना गुलाम बनाया,किसानों पर अनेको जुल्म ढाये और धीरे धीरे हमारे पूरे देश को गुलामी में जकड़ लिया।*

आज भी लगभग वैसे ही हालात फिर से उत्पन्न होने लग रहे हैं,बहुत बड़े व्यापारी अंग्रजो वाली नीति को अपनाते हुए हमारे देश को पुनः गुलाम बनाने का षड्यंत्र रच रहे हैं,"माता प्रकृति" इन लोगों को कभी क्षमा नहीं करेंगी।"

-----------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


(08-12-2020)

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