Tuesday, March 15, 2022

"Impulses"--582-- "परम से जुडना स्वसन जितना सरल"

 "परम से जुडना स्वसन जितना सरल" 


"ईश्वर" से जुड़ने के लिए किसी भी प्रकार के बाहरी कार्यों उपक्रमों की कोई आवश्यकता ही नहीं है।

*"उनसे" सम्पर्क में बने रहना तो इतना आसान है जितना कि सांस लेना।*

जैसे 'श्वसन' एक स्वाभिक स्वतः घटित होने वाली प्रक्रिया है जिसमें कुछ भी करने की आवश्यकता ही नहीं होती।

ठीक वैसे ही "परमात्मा" को महसूस करना भी उतना ही सरल सुगम है,

*बस जरूरत है तो केवल "उनको" अपनी चेतना में महसूस करने की।*

*यह बिल्कुल ऐसा ही है जैसे कोई नन्हा बालक अपने 'माता-पिता' के बारे में सोचता रहता है उनके स्नेह को अपने हॄदय में महसूस करता रहता है।*

"परमपिता" से एकरूप होने के लिए संसार में जितनी भी विधियां अपनाई जाती हैं वे मात्र मानव-मन को एकाग्र करने के लिए ही हैं।"

---------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


04-12-2020

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