Thursday, March 10, 2022

"Impulses"--580-- "शुद्ध इच्छा"

 "शुद्ध इच्छा"


"हे सर्वशक्तिमान, हे कृपानिधान,

हे प्रेम के सागर, हे करुणा की गागर,

करता है "आपसे", "आपका" यह बालक विनम्र गुहार,

कर दो "अपने" इस 'सनातन अंश' का बेड़ा पार,

बना दो इसके जीवन के अंतिम पलों को इक अलौकिक 'श्रृंगार',

जब अंत समय आये तो "आपके" हृदय से लगने का आभास हो,

गहन समाधि में "आपका" प्रेम प्रसारित करते हुए ही इसकी अंतिम श्वास हो,

अंत से कुछ समय पूर्व ही 'चिर-प्रतीक्षित' अवश्यभावी 'प्रिय मृत्यु' का भास हो,

ताकि इसकी नश्वर देह को चार कन्धों का सहारा लेने की जरूरत हो,

और इन कन्धों के एहसान को उतारने के लिए पुनर्जन्म लेने की मजबूरी भी हो,

आजीवन इसका जीवन स्वभिमान के गौरव से दमकता रहे,

इसके अपने पावों पर ही इसका यह शरीर आखरी घड़ी तक बिना किसी सहारे के चलता रहे।"

------------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


02-12-2020

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