Tuesday, March 22, 2022

"Impulses"--584-- "पुण्य अर्जन"

 "पुण्य अर्जन" 


"बहुत से लोग 'पुण्य' कमाने के लिए हर वर्ष सावन के महीने में अपनी मन्नतों को पूरा करने की इच्छा रखने वाले कांवड़ियों के लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं।

*क्यों ये कैम्प लगाने वाले लोग कुछ दिन के लिए इन धरनारत किसानों के भोजन आदि की व्यवस्था में सहयोग करके 'महापुण्य' कमाएं।*

*हम सबको यह एहसास करना चाहिए कि "परमात्मा" 'स्वयम' पांचो तत्वों के देवताओं के द्वारा इन 'माँ' स्वरूप धरतीपुत्रों के रूप में हमारे भोजन का प्रबंध कर रहे हैं।*

ये अन्नदाता उन कांवड़ यात्रियों श्रद्धालुओं से काफी ऊंचा स्थान रखते हैं क्योंकि ये आमजन का पेट भरने की व्यवस्था करते हैं जिनका हम ऋण भी नहीं उतार सकते।

बड़े ही दुख की बात है कि स्वार्थ,अहंकार घोर अज्ञानता के चलते सरकारें पुलिस,प्रशासन अर्धसैनिक बलों के द्वारा इन 'अन्नदाताओं' को पीड़ा पहुंचा रही हैं।

*सबको समझना चाहिए कि जो इन 'देव तुल्य जनो' को कष्ट पहुंचाएगा तो "माँ अन्नपूर्णा" रुष्ट हो जाएंगी और वह एक दिन भोजन ग्रहण करने की क्षमता से भी महरूम हो जाएगा।*

*महीनों तक बिस्तर पर पड़ा पड़ा सड़ता रहेगा और मौत भी नजदीक आने से कतरायेगी।इन अन्नदाताओं को तकलीफ देने का मतलब महापाप का भागी बनना है।*


--------------------------------Narayan

"Jai Shree Mata Ji"


06-12-2020

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